Maithili Gajal :
टुटलैए दिल सिसा जेका जिनगी भेलै बेकार ।
बिधाताके लिखल बिधना हम करैछी स्वीकार ।
हम पुरुष दोसरके लेल हरदम सोचैछी ,
अपना लेल कखनो नैं करैत छी कोनो विचार ।
माईबापके सपना आ वादमे कनियाँके ईच्छा,
पुरा करैईमे हम पुरुष बनैत छी अचार ।
बालबच्चाके भविष्यके लेल बनैछी परदेसी ,
समयसँ पैसा नैं भेजलाप’ सुनैछी फटकार ।
अपन सपनाके हमसब दैत छी बलि चढा ,
दोसरके सपनाके बनैत रहैत छी आधार ।
पुरुषक’ सपना कतेक बनैत रहतै लास ,
यदि जिवितो रहतै त’ बनल रहतै बेमार ।